इश्क़ लिखूँ या अल्फ़ाज़ लिखूँ, तू ही बता मैं क्या लिखूँ.../ अशआर




अशआर : 

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इश्क़ लिखूँ या अल्फ़ाज़ लिखूँ, तू ही बता मैं क्या लिखूँ,
तुझे लिखूँ या तेरा साथ लिखूँ, तू ही बता मैं क्या लिखूँ।

जो की मोहब्बत कभी तूने, दिल को बहलाने के लिए,
मोहब्बत में तेरा नाम लिखूँ, या तू ही बता मैं क्या लिखूँ।

इश्क़, ईमान, धर्म, सच, वादे, इरादे की जो भी बाते थी,
उन बातो को मैं बात लिखूँ या तू ही बता मैं क्या लिखूँ।

हवा, जल, अग्नि, भूमि जो सदा साथ की साक्षी थी,
उनको भी क्या झूठा लिखूँ या तू ही बता मैं क्या लिखूँ।

चल लिखा मैने वैधविक को झूठा, फरेबी, चालसाज है,
पर तेरा इश्क़ तुझसा लिखूँ या तू ही बता मैं क्या लिखूँ।
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~ वैधविक

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