पूजे सिया राम संसारा, सियाराम से रावन हारा.../ कविता (चौपाई छंद)


कविता(चौपाई छंद)
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पूजे सिया राम  संसारा।
सियाराम से रावन हारा।।
नाक सुपनका ने कटवाई।
लक्ष्मण को फसा न पाई।१।

रावन श्री राम न पहचाना।
घमंड रहते हार न माना।।
सब पुत्रो ने  जान गवाई। 
फिर भी अक्ल उनको न आई।२।

जीत सदैव सत्य की होती।
असत्य सदा अस्तित्व खोती।।
अधर्मी है कलयुग में ढेरो।
अधर्म सदैव कभी न ठहरो।३।

रूप एक अनेकों है छाया।
लोक काल से भी न डराया।।
मुख पर मधुर छवि है विराजे।
कपटी ह्रदय कलयुगी साजे।४।

कलयुग में ही सबको जीना। 
सुकर्म को किसी ने न छीना।।
करो सुकर्म धर्म के नाते।
श्री राम घर तभी है आते।५।
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~ वैधविक 

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