मैंने दिल लिखा, उसने अपना समझ लिया.../ अशआर




अशआर : 

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मैंने दिल लिखा, उसने अपना समझ लिया,
मैने इश्क़ लिखा, उसने आशिक़ समझ लिया।

आशिकों को रास्ता दिखाने का काम जो किया मैने,
उसने अपने तक पहुंचने का, ज़रिया समझ लिया।

इश्क़ बेहिसाब था उससे, शायद उसको खबर थी,
बस छोड़ जाने को ही, खंजर समझ लिया।

आर पार करके खंजर पहले से ही, बेखौफ थे,
मेरे चुप रहने को ही हार का, मंजर समझ लिया।

'वैधविक नाम भी मिट जायेगा अब, वक्त के साथ,
पल भर के कंधे के साथी को जो,आशिक़ समझ लिया। 
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~ वैधविक

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