शीर्षक : दिल
विधा : कविता (दोहा छंद)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अक्सर दिल में ही सदा, फॅंस जाते है लोग।दिल दिलवर का ही सदा, है ऐसा संयोग।१।
दिलवर के दीदार में, दिल रहता बेचैन।
दिल की सुनने से सदा, दिल खो देता चैन।२।
दिल की बातों पर सदा, आँखो का है जोर।
होठों की चलती नहीं, आँखें करती शोर।३।
दिल रहता भटका हुआ, आँखें रहती मौन।
दुनिया है व्यापार की,दिल की सुनता कौन।४।
दिल का भी अपना सदा, रहता कुछ गठजोड़।
दिल की जो सुनता नहीं, दिल लेता वो मोड़।५।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~ वैधविक
एक टिप्पणी भेजें