निभाना था कभी कुछ जो,निभा पाए नहीं कुछ वो.../ मुक्तक (विधाता छंद)



मुक्तक (विधाता छंद)

निभाना था कभी कुछ जो,निभा पाए नहीं कुछ वो।
मनाना था कभी कुछ जो,  मना पाए नहीं कुछ वो।।
दिलो से  खेल  खेले सब, दिलो की कौन  सुनता है- 
बचाना था कभी कुछ जो, बचा पाए नहीं कुछ वो।।

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