मुख्यपृष्ठछंद निभाना था कभी कुछ जो,निभा पाए नहीं कुछ वो.../ मुक्तक (विधाता छंद) Admin सोमवार, नवंबर 01, 2021 2 टिप्पणियाँ मुक्तक (विधाता छंद)निभाना था कभी कुछ जो,निभा पाए नहीं कुछ वो।मनाना था कभी कुछ जो, मना पाए नहीं कुछ वो।।दिलो से खेल खेले सब, दिलो की कौन सुनता है- बचाना था कभी कुछ जो, बचा पाए नहीं कुछ वो।।~ वैधविक
ये सभी दिल की बदलती रंगत का नतीजा है।
जवाब देंहटाएंशुभ समय।
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सादर आभार
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