कौन कहां कब क्या कहे ,रखते सब अनुमान.../ दोहा छंद


दोहा छंद : 

कौन कहां कब क्या कहे,रखते सब अनुमान।

जीवन के इक मोड़ पर, करते सब अभिमान।।


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