अशआर :
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बेवजह खुद को तलाशता हूं मैं,
अपनी ही दुनिया में लापता हूं मैं।
मंजिले तो आसान सी लगती है,
पर खुद को छोटा आँकता हूं मैं।
मुझ पर नहीं है किसी का जोर,
बस बेवजह खुद से भागता हूं मैं।
हर बार हार जाता हूं खुद से ही,
उस हार की वजह जानता हूं मैं।
राह तो बदलती रहती है अक्सर,
पर मुकाम एक ही चाहता हूं मैं।
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~ वैधविक
प्रशंसनीय रचना की है...
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जवाब देंहटाएं👏👏👏👏👏👏
जवाब देंहटाएंWah
जवाब देंहटाएंWah
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