मुक्तक (विधाता छंद)
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जियो जब तुम कहीं पर भी, दिलो को याद रखना तुम।
दिलो के जख्म का भी तुम सदा ही स्वाद रखना तुम।।
मिलेंगे खूब तुमको भी, दिलो पर वार करते जो-
सभी कातिल सभी ज़ालिम, सदा ही शाद रखना तुम।।
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~ वैधविक
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