जीवन पर वैधविक के पाँच दोहे :
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जीवन के आनंद में, रहते हैं मशगूल।
व्यर्थ करें जीवन सभी, सदा करें ये भूल।१।
जीवन सदा व्याकुलता, का ही है परिवेश।
उतावले रहते सभी, उतावलो का देश।२।
जीवन में संघर्ष से, आता है सब ज्ञान।
जीवन में ही ज्ञान से, होता है सम्मान।३।
जीवन में गिरगिट तरह, लोगो के हैं रंग।
कुछ लोगो के कर्म ही,बस उनके हैं संग।४।
जीवन का सब लाभ ही,कर्मों का है जोड़।
कर्मों का ही खेल सब, कर्मों का ले मोड़।५।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~ वैधविक
एक टिप्पणी भेजें